असरकारक दवा आने तक टीकाकरण, मास्क ही कोरोना से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका : रमन गंगाखेड़कर


अक्टूबर-नवंबर तक लोगों ने कोरोना से बचाव संबंधी उपायों का पालन किया। जैसे ही दशहरा और फिर दिवाली तथा उसके बाद कुछ चुनाव आए, लोगों ने बचाव संबंधी उपायों का पालन करना बंद कर दिया। अब वह फिर से उभरा है और चारों तरफ तेजी से फैल रहा है।


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भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्थान (आईसीएमआर) के महामारी विज्ञान और संक्रामक रोग के पूर्व प्रमुख डॉ. रमन गंगाखेड़कर का कहना है कि जब तक कोविड-19 की कोई असरकारक दवा नहीं आ जाती तब तक टीकाकरण और मास्क ही इससे बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है। उनके मुताबिक कोरोना की ताजा लहर से लोगों को आतंकित होने की नहीं सबक लेने की जरूरत है। कोरोना की ताजा लहर और इसकी भयावहता की देश के विभिन्न इलाकों से आ रही तस्वीरों पर पद्मश्री से सम्मानित वरिष्ठ वैज्ञानिक रमन गंगाखेड़कर से बातचीत का प्रमुख अंश :

प्रश्न: कोरोना की पिछली लहर के मुकाबले इस बार मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, मौतें भी हो रही हैं। क्या वजह मानते हैं?

रमन गंगाखेड़कर : पिछली बार हमें पता था कि यह वायरस चीन, इटली, थाइलैंड, दक्षिण कोरिया जैसे अन्य प्रभावित देशों से आ सकता। इसके मद्देनजर हम लोगों ने सुरक्षा के एहतियाती कदम उठाए ताकि यह अपने देश में आए ही नहीं और आए भी तो उसको वहीं के वहीं हम रोक पाएं। बाद में देशव्यापी लॉकडाउन भी लगाया गया। इसका परिणाम यह हुआ कि कोरोना पहली लहर देरी से आई और छोटी रही। जब पहली बार लॉकडाउन लगाया गया तो उसका पालन भी हुआ। अक्टूबर-नवंबर तक लोगों ने कोरोना से बचाव संबंधी उपायों का पालन किया। जैसे ही दशहरा और फिर दिवाली तथा उसके बाद कुछ चुनाव आए, लोगों ने बचाव संबंधी उपायों का पालन करना बंद कर दिया। अब वह फिर से उभरा है और चारों तरफ तेजी से फैल रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पहली लहर में कोई संक्रमित पाया जाता था तो हम उसके संपर्कों का आसानी से पता लगाते थे। लेकिन अभी यह पता नहीं चल पा रहा, क्योंकि यह चारों तरफ फैल चुका था।

प्रश्न: पिछले साल हमारे पास ना तो संसाधन थे और ना ही अनुभव। अब हमारे पास दो-दो टीके हैं, फिर क्यों हालात बेकाबू?

रमन गंगाखेड़कर : हमारे पास संसाधन हैं और हमने इससे निपटने के लिए हर तैयारी की। लेकिन आज मामले जिस गति से बढ़ रहे हैं वह बहुत तेज है। इतनी बड़ी संख्या में मरीजों के लिए हम तैयार नहीं थे। यही वजह है कि आज तीन-चार दिन में जांच की रिपोर्ट आ रही है। मतलब चारों तरफ से ऐसी लहर आई जिसकी हमने अपेक्षा नहीं की थी। पिछले 10 दिनों में मामले एक लाख से दो लाख हो गए। एक झटके में मरीजों की संख्या इतनी हो गई।

प्रश्न: क्या वायरस हवा में फैलता है?

रमन गंगाखेड़कर : हवा में यह विषाणु रहता है, यह तो हम पहले से ही बोल रहे हैं। हम इसे ड्रॉपलेट (बूंदों से) इंफेक्शन कहते थे। यह वायुवाहित (एयरबोर्न) होता है। लेकिन सारा संक्रमण हवा में विषाणु के तैरने से हो रहा है, यह कहना गलत होगा। ऐसा होता तो वह प्रदूषण की तरह तेजी से असर करता। लेकिन ऐसा नहीं है। हां, ड्रॉपलेट से जो संक्रमण होता था, उससे ज्यादा यह असरकारक है। लेकिन इससे डरना नहीं है। आपने अगर मास्क पहना है और बचाव संबंधी उपायों का पालन कर रहे हैं तो फिर घबराने की आवश्यकता ही नहीं है। वह चाहे हवा से आए या कहीं से आए।

प्रश्न: वर्तमान परिस्थिति में सरकार और लोगों का क्या रुख होना चाहिए?

रमन गंगाखेड़कर : ये जो दूसरी लहर आई है उसमें हम देख रहे हैं कि मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने में कई प्रकार की चुनौतियां आ रही हैं। कई जगहों पर हमारे पास बेड उपलब्ध नहीं है। लोगों को ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा है और दवाइयां भी नहीं मिल रही हैं। इन सभी संसाधनों को दुरुस्त करना होगा। मरीजों को समझाना पड़ेगा कि किस प्रकार के लक्षण हैं तभी उन्हें अस्पतालों में भर्ती होना है। अस्पतालों की ओपीडी सेवा बंद कर कोविड मामलों पर ध्यान देना होगा। मौजूदा संसाधनों में हमें कैसे काम करना है, उसके बारे में एक दिशा-निर्देश जारी होना चाहिए। डॉक्टरों के बचाव संबंधी सारे उपाय होने चाहिए। क्योंकि एक भी डॉक्टर अगर संक्रमित होता है तो उसका असर सीधा मरीजों पर होता है।

प्रश्न: वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए हर कोई भयभीत है। उनके लिए क्या कहेंगे आप?

रमन गंगाखेड़कर : लक्षण दिखने पर जांच जरूर कराएं। 45 साल के ऊपर के सभी लोगों को टीकाकरण कराना चाहिए। टीकाकरण से कम से कम मौतों की संभावना खत्म होगी। बचाव के सारे उपाय करने होंगे। हमें आतंकित नहीं होना है बल्कि सबक सीखना है। अभी भी संभलने का मौका है। हम अगर सरकार का साथ दें तो जीत जाएंगे। रही बात यह महामारी कब समाप्त होगी, तो मेरे हिसाब से यह तब जाएगा जब इसके खिलाफ असरकारक दवा मिल जाएगी। जैसे प्राणरक्षक दवाइयां होती हैं। किसी को दे दो तो वह बच जाता है। हमें इसकी उम्मीद रखनी है।