वाशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने बृहस्पतिवार को जलवायु परिवर्तन पर डिजिटल सम्मेलन बुलाया है। इस दौरान उनके सामने एक जटिल काम यह होगा कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के गैर-बाध्यकारी लेकिन सांकेतिक लक्ष्य को कैसे प्रस्तुत किया जाए।
उत्सर्जन के लक्ष्य से यह संदेश मिलेगा कि बाइडन जलवायु परिवर्तन पर कितनी आक्रामकता के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं। इस बारे में अमेरिका में राय बंटी हुई है।
जलवायु परिवर्तन का संकट बाइडन के लिए एक जटिल राजनीतिक चुनौती है। यह एक बड़ी चुनौती है, इस पर महामारी राहत पैकेज या अवसंरचना विधेयक की तुलना में अपेक्षित परिणाम आने में अधिक कठिनाई होगी।
जलवायु परिवर्तन के संबंध में 2030 तक पूरा करने के लिए जो लक्ष्य निर्धारित किया गया है, उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर नियत योगदान या एनडीसी कहा गया है। ये लक्ष्य पेरिस जलवायु समझौते का प्रमुख हिस्सा हैं। बाइडन ने अपने कार्यकाल के पहले दिन पेरिस समझौते में अमेरिका को फिर से शामिल किया था।
व्हाइट हाउस की पूर्व सलाहकार केट लार्सन ने कहा कि बाइडन जो लक्ष्य तय करेंगे, क्या वे अगले दशक में उत्सर्जन कम करने की रफ्तार और महत्वाकांक्षा के स्तर को तय करेगा?
पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की जलवायु परिवर्तन योजना के विकास में मदद करने वाली लार्सन और अन्य विशेषज्ञों ने कहा कि लक्ष्य 2030 तक हासिल करना है जो वैज्ञानिकों और उन लोगों को संतुष्ट करने के लिहाज से पर्याप्त है जो जलवायु परिवर्तन की गति को घटाने के लिहाज से आने वाले दशक को महत्वपूर्ण मानते हैं।
वैज्ञानिकों, पर्यावरण समूहों और अन्य कारोबारी नेताओं ने बाइडन से कहा है कि वे ऐसा लक्ष्य तय करें जिससे अमेरिका का ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन 2030 तक कम से कम 50 फीसदी घट सके।