SC ने दिव्यांग महिलाओं के साथ यौन अपराध पर चिंता जताई, जारी किए गाइडलाइन

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नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च अदालत ने दिव्यांग महिलाओं एवं लड़कियों के साथ यौन हिंसा के मामलों पर चिंता जताते हुए आपराधिक न्याय प्रणाली को दिव्यांगजन के और अनुकूल बनाने के लिए मंगलवार को कई निर्देश जारी किए।

शीर्ष अदालत ने कहा कि भारत में कई दिव्यांग महिलाओं एवं लड़कियों के लिए हिंसा का खतरा आम बात हो गई है, जिसके कारण उनके आजादी से घूमने की संविधान द्वारा प्रदत्त स्वंतत्रता छिनती है और सक्रिय एवं खुशहाल जीवन जीने की उनकी क्षमता पर असर पड़ता है।

न्यायालय ने कहा, ‘‘हिंसा के खतरे के कारण बेबसी और चीजों के नियंत्रण में न होने की भावना परेशान कर सकती है, जिसके कारण संविधान में किए गए वादों को दिव्यांग महिलाओं के लिए पूरा करने की संभावना क्षीण होती है।’’

Justice डी वाई चंद्रचूड़ और Justice एम आर शाह की पीठ ने कहा कि इस संबंध में कानून की किताबों में किए गए बदलाव अहम कदम हैं, लेकिन अभी काफी काम किया जाना शेष है।

न्यायालय ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो को लिंग आधारित हिंसा संबंधी अलग-अलग आंकड़े एकत्र करने की संभावना पर गंभीरता से विचार करने के लिए कहा। ‘‘आंकड़ें एकत्र करने के लिए एक आधार दिव्यांगता होनी चाहिए, ताकि इस समस्या की गंभीरता पता चल सके और उससे निपटने के लिए आवश्यकतानुसार कदम उठाए जा सकें।