श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी और पूर्व आतंकवादी यासीन मलिक को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने टेरर फंडिंग के मामले में यह सजा सुनाई है। यासीन मलिक को दो मामलों में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है और 5 मामलों में 10 साल की सजा दी गई है। सभी सजाएं एक साथ चलेंगी और अधिकतम सजा उम्रकैद की है। इस तरह ताउम्र यासीन मलिक को जेल काटनी होगी।
यासीन मलिक को एनआईए कोर्ट ने टेरर फंडिंग के एक केस में दोषी ठहराया था। यासीन मलिक ने केस की सुनवाई के दौरान कबूल लिया था कि वह कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में शामिल था।
अलगाववादी नेता यासीन मलिक ने टेरर फंडिंग मामले में अवैध गतिविधियां (रोकथाम) कानून (UAPA) के तहत लगाए गए आरोपों समेत उस पर लगे सभी आरोपों को स्वीकार कर लिया था। मलिक ने न्यायाधीश से कहा था कि वह अपनी सजा का फैसला अदालत पर छोड़ रहा है। कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
एनआईए कोर्ट ने प्रतिबंधित संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के सरगना यासीन मलिक को गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत 19 मई को दोषी करार दिया था। कोर्ट ने एनआईए के अधिकारियों को मलिक पर जुर्माना लगाए जाने के लिए उसकी वित्तीय स्थिति का आकलन करने के निर्देश दिए थे। मलिक ने अदालत में कहा था कि वह खुद के खिलाफ लगाए आरोपों का विरोध नहीं करता।
टेरर फंडिंग केस में क्या-क्या कबूला?
यासीन मलिक पर आपराधिक साजिश रचने, देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने, अन्य गैरकानूनी गतिविधियों और कश्मीर में शांति भंग करने का आरोप है। मलिक ने इस मामले में अपना गुनाह कबूल कर लिया था। सुनवाई की आखिरी तारीख पर उसने अदालत के सामने बताया कि वह धारा 16 (आतंकवादी अधिनियम), 17 (आतंकवादी अधिनियम के लिए धन जुटाने), 18 (आतंकवादी कृत्य करने की साजिश), यूएपीए की धारा 20 (एक आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होने के नाते) और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और 124-ए (देशद्रोह) सहित अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों का मुकाबला नहीं करेगा।