
भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में अगले कुछ हफ्तों में बड़ा राजनीतिक बदलाव देखने को मिल सकता है। बांग्लादेश के चर्चित लेखक और पत्रकार सलाहुद्दीन शोएब चौधरी के यूरेशियन टाइम्स में लिखे आर्टिकल के अनुसार, मोहम्मद यूनुस जुलाई के अंत तक खुद को देश का सर्वोच्च नेता घोषित कर सकते हैं, इसके लिए वे मौजूदा संविधान को रद्द करने की योजना बना रहे हैं।
यूनुस की मंशा है कि वे देश की मौजूदा लोकतांत्रिक व्यवस्था को समाप्त कर एक क्रांतिकारी सरकार का गठन करें, जो सेना, प्रशासन और न्यायपालिका को पूरी तरह से अपने कंट्रोल में कर ले। चौधरी के दावों के मुताबिक यूनुस को न सिर्फ अमेरिका के डीप स्टेट का समर्थन प्राप्त है, बल्कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI भी इस योजना का हिस्सा है। ये ताकतें बांग्लादेश की लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर कर वहां एक इस्लामी कट्टरपंथी शासन स्थापित करना चाहती हैं। हालांकि, बांग्लादेशी सरकार सलाहुद्दीन शोएब चौधरी के दावे को झूठा करार दे रही है।
बांग्लादेश के मशहूर लेखक और पत्रकार सलाहुद्दीन शोएब चौधरी के मुताबिक मोहम्मद यूनुस को संयुक्त राष्ट्र के भीतर से भी समर्थन मिलने के संकेत हैं। रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर ग्विन लुईस की हालिया प्रतिक्रिया इस ओर इशारा करती है कि यूएन की चुप्पी यूनुस को अंतरराष्ट्रीय वैधता दिला सकती है। चौधरी के अनुसार, यूनुस सरकार जुलाई में एक जुलाई चार्टर पेश करने जा रही है, जो मौजूदा संविधान की जगह लेगा। यह चार्टर एक इस्लामी शासन की नींव रखेगा। यूनुस इसके ज़रिए सेना, न्यायपालिका और अन्य संस्थाओं पर नियंत्रण पाकर अपने विरोधियों को कुचलना चाहते हैं। खास बात यह है कि दिसंबर 2024 तक यूनुस इस चार्टर से इनकार करते रहे हैं पर अब यही दस्तावेज़ उनके अधिनायकवाद का आधार बन सकता है।
यूनुस की योजना में सबसे चिंताजनक हिस्सा बांग्लादेश के सामरिक संसाधनों को अमेरिका और ISI के हवाले करने का है। इसमें चटगांव बंदरगाह को DP World को सौंपने की तैयारी पर जोरों के काम किया जा रहा है। सेंट मार्टिन द्वीप पर अमेरिकी सैन्य अड्डे की इजाजत मिल सकती है। रखाइन से कॉरिडोर योजना पर काम किया जाएगा, जिससे म्यांमार सीमा पर अस्थिरता पैदा होने की आशंका है। लालमोनिरहट एयरबेस और आयुध कारखाने का नियंत्रण पाकिस्तानी या तुर्की एजेंट्स के जरिए अमेरिका को देने की कोशिश की जा रही है। ये सभी कदम भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरे पैदा कर सकते हैं, विशेषकर पूर्वोत्तर राज्यों के लिए।
इन हालातों में जनरल वकार उज जमां, बांग्लादेश सेना प्रमुख की भूमिका सबसे निर्णायक मानी जा रही है। यदि सेना समय रहते यूनुस की योजनाओं पर कार्रवाई नहीं करती तो देश गृहयुद्ध की ओर बढ़ेगा। विदेशी ताकतों का अखाड़ा बन जाएगा। कट्टरपंथ की गहराई में समा जाएगा। सलाहुद्दीन शोएब चौधरी ने चेतावनी दी है कि देश की संप्रभुता, लोकतंत्र और सामाजिक संरचना पर बड़ा संकट मंडरा रहा है।