
आप सोचते हैं कि संपत्ति की रजिस्ट्री करवा लेने के बाद आप उसके मालिक बन जाते हैं तो यह आपकी गलतफहमी है। रजिस्ट्री केवल संपत्ति खरीद का प्रमाण है लेकिन यह आपको मालिकाना हक की गारंटी नहीं देता। इसके लिए म्यूटेशन यानी नामांतरण कराना अनिवार्य होता है।
रजिस्ट्री और नामांतरण में फर्क
रजिस्ट्री और नामांतरण को लोग अक्सर एक ही समझने की भूल कर बैठते हैं। रजिस्ट्री का मतलब होता है कि आपने संपत्ति की खरीद का अधिकारिक दस्तावेज लिया है लेकिन जब तक म्यूटेशन नहीं होता संपत्ति का कानूनी मालिकाना हक आपको नहीं मिलता।
नामांतरण क्यों है जरूरी?
म्यूटेशन या नामांतरण का मतलब है कि संपत्ति का रिकॉर्ड संबंधित प्राधिकरण के दस्तावेजों में आपके नाम पर स्थानांतरित हो। यह प्रक्रिया संपत्ति के कानूनी मालिक के रूप में आपकी पहचान सुनिश्चित करती है। भविष्य में किसी भी कानूनी विवाद से बचने के लिए म्यूटेशन कराना अनिवार्य है।
संपत्ति का नामांतरण कैसे करायें ?
संपत्ति का नामांतरण कराने के लिए संबंधित कार्यालय में आवेदन करना होता है। खेती की जमीन के लिए नामांतरण का काम पटवारी हल्के के पटवारी द्वारा किया जाता है। वहीं, आवासीय जमीन के लिए नगर निगम, नगर पालिका या ग्राम पंचायत में आवेदन करना होता है। औद्योगिक जमीन का नामांतरण औद्योगिक विकास केंद्र के माध्यम से किया जाता है।
नामांतरण के लिए आवश्यक दस्तावेज: संपत्ति के नामांतरण के लिए आपको निम्नलिखित दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे:
👉🏻 संपत्ति की रजिस्ट्री की कॉपी
👉🏻 पिछले मालिक का रिकॉर्ड
👉🏻 संपत्ति कर का भुगतान प्रमाणपत्र
👉🏻 पहचान पत्र और पते का प्रमाण
किस संपत्ति का नामांतरण कहां से कराएं?
खेती की जमीन: यह प्रक्रिया पटवारी के माध्यम से होती है>
आवासीय भूमि: नगर निगम, नगर पालिका या ग्राम पंचायत के कार्यालय में आवेदन करें।
औद्योगिक जमीन: औद्योगिक विकास केंद्र के माध्यम से नामांतरण कराया जाता है।
नामांतरण न कराने के जोखिम
अगर आपने संपत्ति का नामांतरण नहीं कराया, तो भविष्य में संपत्ति पर आपका कानूनी दावा कमजोर हो सकता है। म्यूटेशन न होने की स्थिति में संपत्ति का रिकॉर्ड पिछले मालिक के नाम पर ही बना रहेगा, जिससे विवाद होने की संभावना बढ़ जाती है।
संपत्ति खरीदते समय ध्यान देने योग्य बातें
संपत्ति खरीदते समय म्यूटेशन की प्रक्रिया को अनदेखा न करें। रजिस्ट्री के तुरंत बाद संबंधित प्राधिकरण में जाकर नामांतरण की प्रक्रिया शुरू करें। इससे आप कानूनी जटिलताओं से बच सकेंगे और संपत्ति पर आपका अधिकार सुनिश्चित होगा।