नई दिल्ली। राम नगरी अयोध्या के इतिहास, सांस्कृतिक विरासत और अध्यात्म का संदेश विश्व भर में स्थापित करने के उद्देश्य से शुरू हुए ‘अयोध्या पर्व’ का आज पहला दिन था। नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में तीन दिनों तक चलने वाले अयोध्या पर्व में भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या की संस्कृति और अवध की झलक दिखाने के साथ ही राम के आदर्श जीवन एवं राज्य पर संत, विद्वान और बुद्धिजीवी चर्चा करेंगे। पिछले तीन वर्षों से दिल्ली में अयोध्या पर्व का आयोजन हो रहा है।
विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष और राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि, “भगवान राम का जीवन मर्यादा से बंधा है। किसी दूसरे को दोष न देकर जीवन जीना। माता को जो वचन दिया वो वचन जंगल में भी निभाया। राजा राम अपने छोटे भाई को इस लिए दंडित करते हैं क्योकि वह राजाज्ञा का उल्लेघन करता है। आज हमें भी लगता है कि एक सामंजस्य लोगों में, समाज मे आना चाहिए। राम की मर्यादा को समाज में लाने का ये अवसर है। पांच साल पहले इस पर्व की भूमिका लिखी गई होगी। इस कठिन समय में भी ये आयोजन हुआ, यह एक प्रशंसनीय प्रयास है।”
केंद्र सरकार में सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि आज इस कोविड की स्थिति में भी ये जागरण का काम करने के लिए अयोध्या के सांसद लिए लल्लू सिंह को बधाई। रामचन्द्र सिर्फ भगवान नहीं हैं, हमारे लिए वो हमारी संस्कृति, हमारी धरोहर और इतिहास के विरासत हैं। उनका जीवन हमारे लिए प्रेरक है।
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि जब मैं जर्मनी में जाता हूँ तो देखता हूं कि वहां वेदों और आयुर्वेद के बारे में ज्यादा पढ़ाई हो रही है। इंडोनेशिया में मुसलमानों के घर में भी रामायण मिलते हैं। हम कल्पना भी नहीं कर सकते हैं कि हमारा धर्म और भगवान राम और उनकी संस्कृति कहाँ तक पहुंच गया है।
मैं रोड के माध्यम से एक और काम कर रहा हूँ कि सड़कों पर चलते हुए कैसे हमारे आने वाली पीढ़ियों को हमारे इतिहास के बारे में जानकारी मिल सके इसपर काम कर रहे हैं। रामबहादुर राय से मैं अनुरोध करूंगा कि कैसे रोड से लोगों को हमारे इतिहास की प्रेरणा मिल सके। अयोध्या को 84 कोसीय परिक्रमा का काम शुरू हुआ इसका श्रेय लल्लू सिंह को जाता है।
उत्तर प्रदेश से मध्यप्रदेश तक राम वन गमन रोड बना रहे हैं। इसके अलावा राम जानकी मार्ग बना रहे हैं अयोध्या से नेपाल के जनकपुर तक ये मार्ग बना रहे हैं। हमें अपने देश के इतिहास को लिखना है। नहीं तो हम मैकाले का इतिहास पढ़ते रहेंगे।
कार्यक्रम के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास के उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास ने कहा कि भगवान श्री राम के आदर्श को हमें जन जन तक पहुंचना है। अगर ये आदर्श जन जन तक पहुंचेगा तो समाज समृद्धशाली होगा।
वरिष्ठ पत्रकार रामबहादुर राय ने कहा कि अयोध्या पर्व समाज का पर्व है। रवि कुमारअय्यर हिंदू संस्कृति पर काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि ‘मलेशिया में जब कोई राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या मंत्री पद की शपथ लेता है तब भगवान राम चन्द्र की चरण पादुका की शपथ लेता है।’
सांसद लल्लू सिंह ने ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर बनेगा ये तो मन में था ही। हमने 84 कोसीय परिक्रमा पर किताब भी लिखवाई है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर हमने प्रभु श्री राम के दर्शन और 84 कोसीय परिक्रमा बनेगी तो नौजवानों को भी रोजगार मिलेगा।
लल्लू सिंह ने बताया कि पूर्व की भांति इस वर्ष भी अयोध्या पर्व मेें अयोध्या के संस्कृति, अयोध्या का महत्व और अयोध्या के आसपास जितने पौराणिक धार्मिक स्थल हैं जो भगवान श्री राम के जीवन से जुड़े स्थान है, इसके साथ तपस्वियों- मुनियों के तपस्थली को प्रदर्शनी के माध्यम से पूरे देश को यह बताना चाहते हैं। जिससे भविष्य में उन स्थानों का विकास हो और देश के लोग उस स्थानों तक पहुंच का दर्शन करें, संस्कार प्राप्त करें।
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि अयोध्या में भगवान श्री राम का भव्य मंदिर बन रहा है ऐसे में पूरा देश राम मंदिर के मॉडल को सभी लोग जानते हैं लेकिन मंदिर के साथ-साथ जो श्रद्धालु यहां आने वाले हैं उनको यहां रुकने के लिए और अयोध्या के आसपास स्थित जो प्रमुख स्थान है उसका भी दर्शन कर सकें उन स्थानों का सुंदरीकरण भी किया जा सके उस दृष्टि से हम सभी लोग प्रयास कर रहे हैं। जब तक धार्मिक स्थलों के आसपास बड़ी संख्या में श्रद्धालु रुकेंगे या दर्शन नहीं करेंगे तब तक आसपास क्षेत्र में रहने वाले लोगों का विकास और उनकी आय नहीं बढ़ सकेगी इसलिए यह प्रयास है कि उन सभी स्थानों के विकसित किया जाए और वहां के स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके।
लल्लू सिंह ने बताया कि अयोध्या राम मंदिर के नाते विकसित हो रहा है। इस कोरोना काल में भी हम इस कार्यक्रम को करने का हौसला मिला। ये यहां आए अतिथियों का आभार है।
इसके अलावा यहां संगोष्ठी और अन्य कार्यक्रमों का भी आयोजन होगा, जिसमें लोक परंपरा का भी प्रदर्शन होगा। इस बार अयोध्या पर्व का तीसरा आयोजन होगा, जिसमें श्रीराम से जुड़े तीर्थस्थान और धार्मिक स्थलों की प्रदर्शनी लगाई जायेगी। यहां काव्य गोष्ठी और सम्मेलन का भी आयोजन होता आया है। इसके अतिरिक्त साहित्य संवाद, गायन, लोकनृत्य जैसे कार्यक्रम भी होते हैं।
उल्लेखनीय है कि अयोध्या पर्व में अयोध्या के सांस्कृतिक महत्व के बारे में सभी को जानकारी दी गई। कार्यक्रम और चर्चाओं के द्वारा अयोध्या की जानकारी और इतिहास को देशभर में पहुंचाने की योजना है। अलग-अलग स्टॉल पर लोकल कारीगरों की कला और उत्पाद को भी उपलब्ध करवाया जाता है।
इस कार्यक्रम के माध्यम से अयोध्या ही नहीं, पूरे अवध की सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित किया जा रहा है। राम मंदिर का मॉडल, सरयू का जल और अयोध्या की मिट्टी यहां के आकर्षण का मुख्य केंद्र होगा। इसके अतिरिक्त प्रदर्शनी के द्वारा भी लोगों को जानकारी देने की कोशिश की जा रही है।