नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को सर गंगा राम अस्पताल को ब्लैक फंगस के मरीजों, खासकर कोरोना संक्रमण से उबरने के दौरान इस कवकीय संक्रमण की गिरफ्त में आये लोगों एवं उनके बीच दवाओं के वितरण की विधि के बारे में विस्तार से बताने का निर्देश दिया।
उच्च न्यायालय को बताया गया कि इस अस्पताल को पिछली रात दिल्ली सरकार ने एम्फोटेर्सिन बी इंजेक्शन की 360 शीशियां प्रदान की जिनका इस्तेमाल म्यूकरमाइकोसिस के इलाज में किया जाता है। अस्पताल ने दावा किया कि उसने सारी शीशियां मरीजों के बीच वितरित कर दीं औरउसके पास यह दवा नहीं बची है।
इस दवा की देशभर में कमी है। न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जस्मीत सिंह की पीठ ने अस्पताल से बृहस्पतिवार तक यह बताने को कहा कि वह इस दवा का मरीजों के बीच कैसे वितरण और इस्तेमाल कर रहा है। पीठ ने अस्पताल से 26 मई को रिपोर्ट देने को कहा।
पीठ ने यह मामला तब अपने हाथ में लिया जब एक महिला वकील ने 80 साल के अपने दादा की दशा का उल्लेख किया जो सर गंगा अस्पताल में भर्ती हैं और फंगस से जूझ रहे हैं।
कल इन महिला ने कहा था कि उन्हें पिछले पांच दिनों से इस दवा की एक भी शीशी नहीं मिली जिसके कारण उनके दादा की दो सर्जरी हो चुकी हैं और मंगलवार को तीसरी सर्जरी होने की संभावना है।
उन्होंने अदालत से कहा कि केंद्र और दिल्ली सरकारों के वकीलों के प्रयास से मरीज को छह शीशियां मिली हैं और उन्हें ये शीशियां लगायी गयी हैं लेकिन अब और की जरूरत है।
अदालत के निर्देश पर पेश अस्पताल के एक डॉक्टर ने अदालत से कहा कि उनके पास केवल एक ही मरीज नहीं है, और कई मरीज है तथा अस्पताल को मरीज की दशा के आधार पर इंजेक्शन लगाना होता है और यह कि उसने सारी 360 शीशियां लगा दी हैं।