न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी की पीठ अफशां अंसारी की याचिका पर नौ अप्रैल को सुनवाई करेगी। याचिका में आरोप लगाया गया है कि उत्तर प्रदेश में अंसारी की जान को गंभीर खतरा है।
उत्तर प्रदेश पुलिस को उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर मंगलवार को ही पंजाब पुलिस से अंसारी की हिरासत मिली है। अंसारी पर उत्तर प्रदेश में कई जघन्य आपराधिक वारदात को अंसाम देने का आरोप है।
उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि उत्तर प्रदेश में अंसारी की जान को ‘‘गंभीर खतरा’’ है और अगर न्यायालय उसकी सुरक्षा के लिए कदम उठाने का निर्देश नहीं देगा तो अंसारी की हत्या होने की ‘‘प्रबल आशंका’’ है।
याचिका के अनुसार, अंसारी पर ऐसे राजनीतिक शत्रुओं द्वारा कई बार हमले का प्रयास किया जा चुका है जो सत्ताधारी राजनीतिक दलों से जुड़े हुए हैं।
अंसारी की पत्नी अफशां अंसारी की ओर से सोमवार को दायर याचिका में अनुरोध किया गया है कि उनके पति को एक जेल से दूसरे जेल और जेल से अदालत ले जाने के दौरान वीडियोग्राफी कराई जाए और यह सीआरपीएफ जैसे केंद्रीय बलों की निगरानी में किया जाए।
न्यायालय ने 26 मार्च को पंजाब सरकार को आदेश दिया था कि अंसारी को उत्तर प्रदेश पुलिस को सौंप दिया जाए।
अफशां की ओर से दायर याचिका में अनुरोध किया गया है कि पंजाब से बांदा जिला जेल में स्थानांतरण के दौरान, मुख्तार अंसारी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए न्यायालय उत्तर प्रदेश के अधिकारियों को निर्देश दे।
उन्होंने अधिकारियों को अंसारी को जेल में सुरक्षा देने तथा उत्तर प्रदेश में अदालतों में पेश करने के दौरान भी सुरक्षा देने का निर्देश देने का आग्रह किया।
याचिका में अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश देने का अनुरोध किया कि गया है कि अंसारी सुरक्षित रहे और उत्तर प्रदेश में उसके खिलाफ दर्ज सभी मामलों में सुनवाई के लिए पेश होते समय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उसके अधिकार सुरक्षित रहें।
याचिका में उत्तर प्रदेश में पिछले साल गैंगस्टर विकास दुबे को मुठभेड़ में मार गिराए जाने का भी जिक्र किया गया है।