नई दिल्ली। केंद्र ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि रमजान के महीने में नमाजियों के लिए निजामुद्दीन मरकज को खोला जा सकता है।
रमजान का महीना 14 अप्रैल से शुरू होने की उम्मीद है। दक्षिण दिल्ली के निजामुद्दीन में बंगले वाली मस्जिद में यह मरकज स्थित है। वक्फ बोर्ड की एक याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता के समक्ष केंद्र सरकार ने यह दलील पेश की। बोर्ड ने याचिका के जरिए निजामुद्दीन मरकज को खोले जाने का अनुरोध किया है।
गौरतलब है कि देश में कोविड-19 महामारी के शुरूआती दिनों में वहां पिछले साल तबलीगी जमात का एक धार्मिक समागम हुआ था और इसे पिछले साल 31 मार्च से बंद रखा गया है। केंद्र ने 24 मार्च को कहा था कि वक्फ बोर्ड द्वारा चुने गये 50 लोगों को शब-ए-बारात के दौरान मस्जिद में नमाज अदा करने की इजाजत दी जा सकती है।
केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए अधिवक्ता रजत नायर ने सोमवार को अदालत से कहा कि रमजान के दौरान मस्जिद में नमाज अदा करना, दिल्ली में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के मद्देनजर सामजिक दूरी का पालन करने और अन्य एहतियातों से जुड़े दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुरूप होना चाहिए।
नायर ने यह भी कहा कि मस्जिद के रोजमर्रा के संचालन से जुड़े मुद्दों को देखने वाले पदाधिकारियों एवं अन्य कर्मचारियों के नाम संबद्ध थाना प्रभारियों को दिये जाएं तथा इन लोगों को रमजान के महीने में दिन भर वहां मौजूद रहने की अनुमति दी जाए।
वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश गुप्ता और नायर ने अदालत से यह भी कहा कि सोमवार को हजरत निजामुद्दीन पुलिस थाने के प्रभारी और मस्जिद के पदाधिकारी संयुक्त रूप से निरीक्षण करेंगे।
उन्होंने कहा कि निरीक्षण वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता वजीज शफीक और बोर्ड के सदस्य हिमाल अख्तर की मौजूदगी में किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि मंगलवार को वहां सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जाएंगे। दलीलें सुनने के बाद अदालत ने विषय की अगली सुनवाई मंगलवार के लिए निर्धारित कर दी।
उल्लेखनीय है कि मरकज में पिछले साल की शुरूआत में हुए तबलीगी जमात के एक कार्यक्रम के सिलसिले में और बाद में कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान वहां विदेशियों के ठहरने को लेकर एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी।