
हरियाणा में लिंगानुपात में गिरावट को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। राज्य में लिंगानुपात सुधार के लिए बनी एसटीएफ (State Task Force) ने 5 जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (CMO) से प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीएनडीटी) अधिनियम के तहत दी गई सभी शक्तियां वापस ले ली हैं।
यह फैसला अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) सुधीर राजपाल की अध्यक्षता में हुई एसटीएफ की साप्ताहिक बैठक में लिया गया। बैठक में मुख्य रूप से अवैध भ्रूण लिंग जांच और गर्भपात पर रोक लगाने, साथ ही ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान को और मजबूती देने पर चर्चा हुई।
राज्य सरकार के अनुसार, इस साल 1 जनवरी से 28 जुलाई तक हरियाणा का औसत लिंगानुपात 905 तक पहुंच गया है, जो कि पिछले साल इसी अवधि में 899 था। यानी राज्य स्तर पर मामूली सुधार जरूर हुआ है, लेकिन कुछ जिलों की स्थिति अब भी चिंताजनक बनी हुई है।
बैठक में बताया गया कि अंबाला, भिवानी, चरखी दादरी, पलवल और सिरसा इन पांच जिलों में लिंगानुपात में पिछली बार की तुलना में गिरावट आई है। ऐसे में इन जिलों के सीएमओ को पीएनडीटी अधिनियम के तहत मिली कानूनी और प्रशासनिक शक्तियां तुरंत प्रभाव से वापस ले ली गई हैं।
अब इन जिलों की निगरानी और कार्रवाई की जिम्मेदारी इनके पड़ोसी जिलों के अधिकारियों को सौंपी गई है। वे तुरंत कार्यभार संभालकर जरूरी कदम उठाएंगे।
राज्य कार्य बल के अध्यक्ष सुधीर राजपाल ने कहा कि जहां एक ओर 15 जिलों में लिंगानुपात में अच्छा सुधार देखा गया है, वहीं इन पांच जिलों की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जा सकती। इसलिए जिम्मेदारी तय करते हुए यह सख्त कदम उठाया गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि लिंग चयन के आधार पर भ्रूण हत्या एक अपराध है और इसे हर हाल में रोका जाएगा। सरकार ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान को लेकर पूरी तरह गंभीर है और आने वाले समय में और कड़े कदम उठाए जाएंगे।