पंजाब के महाधिवक्ता को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया : अकाली दल


शिअद ने आरोप लगाया है कि उन्हें इस्तीफा देने के लिए इसलिए मजबूर किया गया, क्योंकि उन्होंने सिख बंदी देविंदर पाल सिंह भुल्लर की रिहाई को रोकने के लिए खुले तौर पर और स्पष्ट रूप से इन नेताओं को दोषी ठहराया था।


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पंजाब Updated On :

चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने शनिवार को आप के राष्ट्रीय संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके पंजाब समकक्ष भगवंत मान को उन खबरों पर सफाई देने की चुनौती दी कि पंजाब के अपदस्थ महाधिवक्ता अनमोल रतन सिंह सिद्धू को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया है।

शिअद ने आरोप लगाया है कि उन्हें इस्तीफा देने के लिए इसलिए मजबूर किया गया, क्योंकि उन्होंने सिख बंदी देविंदर पाल सिंह भुल्लर की रिहाई को रोकने के लिए खुले तौर पर और स्पष्ट रूप से इन नेताओं को दोषी ठहराया था।

पार्टी ने सिद्धू की जगह सिरसा डेरा प्रमुख के वकील विनोद घई को महाधिवक्ता नामित करने को लेकर भी आपत्ति जताई।

शिअद ने आरोपों पर एक स्वतंत्र जांच की मांग की कि 2015 में पंजाब में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटनाएं पंजाब में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटनाएं ‘पंजाब के बाहर शक्तिशाली राजनीतिक ताकतों द्वारा प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व वाली सरकार को अस्थिर करने और खालसा पंथ को विभाजित और कमजोर करने के लिए उसके रैंकों में संदेह के बीज बोने के लिए एक गहरी साजिश का एक हिस्सा थीं’।

उन्होंने कहा, “साजिश अभी भी जारी है, जिसका उद्देश्य सिख ‘कोम’ को पूरी तरह से नेतृत्वहीन और भ्रमित करना है।”

यहां एक बयान में, वरिष्ठ अकाली नेता महेश इंदर सिंह ग्रेवाल ने कहा, “भुल्लर की रिहाई पर अपने रुख के बाद अनमोल रतन सिद्धू को हटाने के साथ-साथ डेरा प्रमुख राम रहीम के वकील को नए महाधिवक्ता के रूप में चुनने के बाद स्पष्ट रूप से आरोपों की उच्च-स्तरीय और स्वतंत्र जांच की आवश्यकता है कि प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान 2015 की बेअदबी की घटनाएं पंजाब को अस्थिर करने के लिए पंजाब के बाहर से बनाई गई साजिश का एक हिस्सा थीं।”

बता दें कि वरिष्ठ अधिवक्ता अनमोल रतन सिद्धू ने मंगलवार को कहा था कि उन्होंने निजी कारणों से पंजाब के महाधिवक्ता के पद से इस्तीफा दे दिया है। सिद्धू के बाद फौजदारी मामलों के वकील विनोद घई उनकी जगह लेंगे।

सिद्धू ने मुख्यमंत्री भगवंत मान को 19 जुलाई को लिखे अपने संक्षिप्त त्यागपत्र में सिद्धू लिखा, “मैं पार्टी का शुक्रगुजार हूं कि मुझे पंजाब के महाधिवक्ता कार्यालय का प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया। निजी कारणों से मैं इस पद पर सेवा नहीं कर पाऊंगा। मैं अपना इस्तीफा देता हूं, जिसे कृपया जल्द से जल्द स्वीकार किया जाए।”