प्रधानमंत्री के चुनाव क्षेत्र में स्वतंत्रता दिवस के पांच अनुभव


हमारे स्वतंत्रता दिवस समारोह की शुरुआत सुबह सर्व सेवा संघ परिसर के बाहर सड़क पर सैकड़ों पुलिसवालो के पहरे में हुई। गांधी- जेपी विरासत बचाओ अभियान की तरफ से सुबह ध्वजारोहण का आयोजन किया गया था लेकिन परिसर के सभी दरवाजों पर पुलिस फोर्स का पहरा था। अंदर मलबा और मातमी सन्नाटा।


नागरिक न्यूज नागरिक न्यूज
उत्तर प्रदेश Updated On :

प्रो. आनंद कुमार

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले से देश को 77 वें स्वाधीनता दिवस की बधाई का भाषण दिया। हमने इस राष्ट्रीय उत्सव को उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी में मनाया। देश की राजधानी के समारोह से जुड़ी ओननउनकी तमाम तस्वीरें दिखाई गई हैं। मैं उनके चुनाव क्षेत्र से पांच अनुभवों को आपके सामने रखकर तस्वीर का दूसरा पहलू पेश करना चाहता हूं।

हमारे स्वतंत्रता दिवस समारोह की शुरुआत सुबह सर्व सेवा संघ परिसर के बाहर सड़क पर सैकड़ों पुलिसवालो के पहरे में हुई। गांधी- जेपी विरासत बचाओ अभियान की तरफ से सुबह ध्वजारोहण का आयोजन किया गया था लेकिन परिसर के सभी दरवाजों पर पुलिस फोर्स का पहरा था। अंदर मलबा और मातमी सन्नाटा। किसी को प्रवेश की अनुमति ‌नही थी। अभियान के समारोह में शामिल होने के लिए बिहार, महाराष्ट्र, राजस्थान, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के गांधीजन पहुंच गए थे। बनारस के शहरी और ग्रामीण लोकसेवक भी थे। बापू की प्रतिमा के निकट एक बड़ा तिरंगा फहराया जाना था। लेकिन पुलिस अधिकारी बिना पूर्व अनुमति के इस आयोजन को न होने देने के लिए आक्रामक हो गये। झंडे पर फूलों की पंखुड़ियों का चढ़ाना भी रोका गया। सड़क के किनारे भी अपनी बात कहने के विरूद्ध दबंगई दिखाई। हमने पुलिस के घेरे में राष्ट्रगान गाया। राष्ट्र ध्वज को सलामी दी। पुलिस के कब्जे में कैद गांधी और जे पी की प्रतिमा को पुष्पांजलि अर्पित किए बिना लौटना बहुत क्षोभजनक रहा। ऐसा लगा कि हमारा किसी विदेशी पुलिस से सामना हुआ है।

लेकिन यह दुःख जल्दी ही दूर हो गया। हम सरकारी इंतजाम से दूर नागरिक संस्थान में आये ‌।‌ एक साथी की पहल पर हम सभी को स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल होने के लिए लल्लापुरा के दो विद्यालयों में सम्मान सहित बुलाया गया। तिरंगे गुब्बारेऔर रंगोली। गांधी, टैगोर, नेहरू, पटेल, सुभाष , मौलाना आजाद, भगतसिंह, लालबहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी और अब्दुल कलाम की तस्वीरें। कहां सुबह पुलिस की दबंगई और रोक- टोक, कहां बरसों से नयी पीढ़ी को गढ़ने में जुटा विद्या संस्थान! आजादी को समझने समझाने की उत्सुकता और उत्साह।

छात्राओं के इंटर कालेज में लगभग पांच सौ अध्यापिकाओं और छात्राओं ने कौमी तराना गाया – सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ता हमारा….। फिर तेजस्विनी विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया। हर छात्रा अपने आप में देश के उज्वल भविष्य की एक गारंटी लगी। सबसे बात करने की इच्छा थी लेकिन यह मुमकिन नहीं था।

अभी एक और विद्यालय में झंडा फहराया जाना बाकी था। यह 90 साल पुराना इंटर कालेज है। इसमें एक प्राइमरी स्कूल भी चलाया जाता है। इसमें एक महीने से पढ़ाई बंद थी क्योंकि कालेज में सशस्त्र पुलिस ठहरी हुई थी। क्यों? प्रशासन की मर्जी! फिर भी बच्चों ने खूब नाच-गाना किया। कालेज की प्रबंध समिति ने ठंडे पानी की मशीन का उद्घाटन कराया। शौचालयों में सुधार का निरीक्षण कराया। अशोक, रजनीगंधा और सावनी के पौधे लगाए गए। समापन के बाद जलपान और राजनीतिक चर्चा शामिल थे। शिक्षक – शिक्षिकाओं ने दुबारा आने का वादा कराके विदा किया। कहां सर्व सेवा संघ को तहस नहस करने की अकड़ में ऐंठे पुलिस अधिकारी और कहां शिक्षा के पवित्र काम में समर्पित लोगों की विनम्रता।

आइए, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्वाचन क्षेत्र की चौथी छबि देखी जाए। कोनिया पांच हजार घरों का क्षेत्र है। इसमें निम्न मध्यम वर्गीय लोगों ने आवास बनाए हैं। अनेकों निर्धन परिवार किराए की झुग्गी- बस्तियों में रहते हैं। कोनिया में 25००० के लगभग स्त्री, पुरुष और बच्चे रहते हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, साफ पानी और हवा, खेल के मैदान और अपर्याप्त शौचालयों की समस्याएं हैं फिर भी कुछ घरों पर तिरंगा था। कोनिया के लोग सरकार द्वारा स्वतंत्रता दिवस के 48 घंटे पहले सर्व सेवा संघ परिसर पर बुलडोजर चलवाकर सबकुछ ध्वस्त करने से आतंकित मिले।

यह गांधी -जेपी विरासत बचाओ अभियान के बनारस के सभी वार्डों में प्रतिरोध आयोजन की योजना का पहला दिन था इसलिए हमने अपनी दुर्दशा का मूल कारण बताया। यह भी जोड़ा कि बिना परस्पर एकता के सरकारी मनमानी नहीं रूकेगी। शीघ्र जिज्ञासा शुरू हो गई। हमारी तो सारी जिंदगी की कमाई मकान में लगी। अब क्या करूं? कोई अच्छा वकील बताइए!

(प्रोफेसर आनंद कुमार जेएनयू में लंबे समय तक प्राध्यापक रहे और समाजवादी चिंतक हैं।)