उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना के आदेश के बाद समाजवादी पार्टी से निष्कासित विधायक राकेश प्रताप सिंह, अभय सिंह और मनोज पांडेय को असंबद्ध घोषित कर दिया गया है। यानी अब इन तीनों विधायकों का किसी भी दल से कोई भी वास्ता नहीं है। अब ये तीनों विधायक निर्दल हैं। फरवरी 2024 में बगावत करने से पहले यह सभी विधायक समाजवादी पार्टी के विधायकों के साथ बैठते थे।
निष्कासित विधायकों में से एक ऊंचाहार विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के विधायक मनोज पांडेय को अक्सर विधासनभा में सपा प्रमुख अखिलेश यादव के पीछे बैठा देखा जाता था। मनोज पांडेय को सपा ने चीफ व्हिप की भी जिम्मेदारी दी थी। अन्य दोनों विधायक राकेश और अभय भी अखिलेश के आसपास ही बैठते थे। जून 2024 तक सपा प्रमुख अखिलेश यादव, करहल से विधायक थे और यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष थे।
हालांकि अब ऐसा नहीं होगा। अब इन तीनों विधायकों को विधानसभा में अलग सीटें आवंटित होंगी। सपा से बगावत करने के बाद ही तीनों विधायक अक्सर एक साथ बैठ रहे थे। इसी वर्ष के बजट सत्र में 19 फरवरी को मनोज पांडेय, राकेश और अभय, तीनों विधायक एक साथ बैठे थे।
इसी वर्ष जब 5 मार्च को विधानमंडल का बजट सत्र संपन्न हुआ था। इस दिन अभय और राकेश प्रताप सिंह, सत्ताधारी दल के नेताओं और योगी सरकार के कैबिनेट मंत्रियों के आसपास बैठे दिखे थे।
इन तीनों विधायकों को विधानसभा में सीट कहां मिलेगी यह तो विधानमंडल के मानसून सत्र के दौरान ही स्पष्ट हो पाएगा लेकिन इतना तय है कि यह तीनों अब सपा विधायकों के साथ नहीं बैठेंगे।
उधर, तीनों विधायकों के सपा से निष्कासन और विधानसभा द्वारा असंबद्ध करने के बाद यह चर्चा जोरों पर है कि ऊंचाहार विधानसभा क्षेत्र से विधायक मनोज पांडेय, अयोध्या स्थित गोसाईंगंज से विधायक अभय सिंह और अमेठी के गौरीगंज से विधायक राकेश प्रताप सिंह का फ्यूचर प्लान क्या होगा?
जब इन तीनों विधायकों को सपा से निष्कासित किया गया तब यह चर्चा जोरों पर थी कि ये सभी अपनी सीटों से इस्तीफा देंगे और फिर जब भारत निर्वाचन आयोग यहां उपचुनाव का ऐलान करेगा, तब इन्हें बतौर बीजेपी प्रत्याशी मैदान में उतारा जाएगा। अगर ये चुनाव जीतकर आते हैं, तो बीजेपी इन्हें जिम्मेदारी देगी।
दरअसल, असबंद्धता और निष्कासन के बाद भी बीजेपी के सामने एक बड़ा संकट है। भले ही तीनों विधायक अब निर्दल घोषित हो गए हों लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में ये समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते। अब अगर बीजेपी इन्हें कोई अहम जिम्मेदारी देगी तो सपा उसे अपने पक्ष में भुनाने से परहेज नहीं करेगी। ऐसे में बीजेपी इस मामले के हर पहलू पर गौर करने के बाद ही कोई फैसला लेगी।