
तेहरान। ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्ला सैय्यद अली ख़ामेनेई ने 8 अगस्त को हिंदी में अपना एक ट्विटर अकाउंट खोला है। इस नए ट्विटर अकाउंट से देवनागरी लिपि में उनका परिचय लिखा गया है साथ ही उन्होंने हिन्दी में कई ट्वीट भी किए हैं।
ख़ामेनेई ने इस नए ट्विटर अकाउंट का ऐलान उन्होंने अपने अंग्रेजी वाले ट्विटर हैंडल से की है। खबर लिखे जाने तक इस अकाउंट के 2366 फोलोअर्स बन चुके थे और इन फोलोअर्स में लगभग 90 प्रतिशत भारतीय हैं, शेष पाकिस्तानी और बंगालीदेश व अन्य दूसरे मुल्कों के हैं। हांलाकि अयातुल्ला ख़ामेनेई के फ़ारसी, अरबी, उर्दू, फ्रेंच, स्पेनिश, रूसी और अंग्रेजी भाषाओं में पहले से ही ट्विटर अकाउंट हैं।
अजीब बात यह हैं कि ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनई किसी को फॉलो नहीं करते हैं वे अपने ही दूसरे भाषाओं के ट्विटर अकाउंट को फॉलों करते हैं। हांलाकि कि ईरान सहित दूसरे मुल्कों के बड़े धार्मिक नेता और राजनीतिज्ञ उनको फॉलो करते हैं, लेकिन वे किसी को भी फॉलो नहीं करते हैं। ऐसे में खामेनेई के हिंदी अकाउंट से किसी भारतीय नेता को फॉलो करने की उम्मीद कम है।
Hindi account launched @In_khamenei https://t.co/9ETUWdDiwy
— Khamenei.ir (@khamenei_ir) August 9, 2020
हालांकि ग़दीर की घटना से हम शीयों का हार्दिक रिश्ता बहुत मज़बूत है लेकिन हक़ीक़त यह है कि ग़दीर की घटना अपने तथ्यों और वास्तविक आत्मा की दृष्टि से केवल शीयों तक सीमित नहीं बल्कि सारी इस्लामी दुनिया से संबंधित है। इसलिए कि ग़दीर की घटना इस्लाम की वास्तविक आत्मा पर आधारित है।
— आयतुल्लाह सय्यद अली ख़ामेनई (@In_khamenei) August 8, 2020
ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता के हिन्दी में ट्विटर अकाउंट खोले जाने पर खाड़ी की राजनीति की समझ रखने वालों का कहना है कि खाड़ी के बाद यदि ईरान का सांस्कृतिक रूप से कोई करीबी है तो वह है भारत। भारत में ईरान के चाहने वालों में शियाओं से अधिक सुन्नी मुस्लिम हैं। वहीं दूसरी तरफ दुनिया के एकलौता पारसी धर्म के मानने वाले केवल भारत में हैं और वे सभी ईरान से ही आए हैं। भारत के इन सभी पारसी मतावलंबियों का आज भी ईरान से काफी भावनात्मक लगाव हैं जिसके कारण भारत और ईरान सांस्कृतिक रूप भी अपने को एक दूसरे से जुड़ा हुआ महसूस करते हैं।
वहीं अगर वर्तमान केंद्र सरकार को छोड़ दें तो दूसरे सरकारों का ईरान से काफी अच्छा संबंध रहा है और ईरान भी विश्वमंच पर भारत के विचारों को काफी अहमियत देता रहा है। जानकारों का कहना है कि ईरान के सर्वोच्च धार्मक नेता का हिंदी में अकाउंट खोलने का मकसद आम भारतीय में ईरान के प्रति झुकाव पैदा करना है और ईरान के खिलाफ अमेरिका द्वारा देश में बनाए जा रहे विचार में संतुलन बनाने का हिस्सा है।
बता दें कि ईरान एक लोकतांत्रिक देश हैं,लेकिन ईरान के सत्ता की चाभी खामेनई से ही होकर जाती है। ईरान के धार्मिक नेता के पास आज भी ईरानी आर्मी से मजबूत और दुनिया की सबसे मजबूत सैन्य शक्तियों में एक रिवोल्यूशनरी गार्ड की कमान है।