कोरोना आंकड़े और सावधानी…


अब पूरी दुनिया में कोरोना वायरस को लेकर एक नई तरह की बहस शुरू हो गई है जिसके मुताबिक़ कोरोना का वायरस साम्यवादी देश चीन की प्रयोगशाला में तैयार किया गया है। आरोप बड़ा है लेकिन कोई पुख्ता प्रमाण किसी के पास नहीं है इसलिए एक कॉन्सिपिरेसी थ्योरी के तहत यह बहस इस वक्त पूरी दुनिया में चल रही है।



भारत  सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किये गए आंकड़ों पर यकीन करें तो ऐसा लगता है कि इस देश में  कोरोना वायरस से होने वाला संकट दिन पर दिन गहराता ही जा रहा है। जबकि अन्य हवालों से प्राप्त जानकारियां कोरोना संकट की बात तो कर रही हैं लेकिन इन जानकारियों के मुताबिक कोरोना का संकट धीरे- धीरे ढलान पर है। दूसरे स्रोतों से प्राप्त जानकारियां चाहे जो कुछ कहें  लेकिन  सरकार सरकार की बात को ही विश्वसनीय माना जाना चाहिए और सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार 26 अप्रैल को इस सम्बन्ध में जो आंकड़े जारी किये हैं उसके हिसाब से देश में कोरोना के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। 

ताजा सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में कोरोना वायरस से अब तक 824 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि संक्रमित मामलों की संख्या बढ़कर 26,496 हो गई है। रविवार से पहले एकत्र किये गए इन आंकड़ों के मुताबिक तब तक  24 घंटों  के दौरान  कोरोना के 1,990 नए मामले सामने आ चुके थे और 49 लोगों की मौत हो चुकी थी। यही नहीं इन आंकड़ों के मुताबिक़ तब तक  बीते 24 घंटे के दौरान कोरोना से संक्रमित होने वालों की  संख्या तब  तक सबसे ज्यादा ही थी। ये बात अलग है कि इसी देश में इस बीमारी से ठीक होकर घर जाने वाले मरीजों की संख्या भी बुरी नहीं है। 

सरकार के ही आंकड़े बताते हैं कि रविवार 26 अप्रैल से एक दिन पहले  तक  कुल 5,804 मरीज ठीक को चुके थे और उसी दौरान  24 घंटे  के अंतराल में  ही  741 लोग ठीक होकर घर गए थे। बहरहाल, सरकार के आंकड़ों में कुछ घालमेल हो सकता है लेकिन कुल मिला कर कोरोना की स्थिति चिंतनीय तो है ही पिछले डेढ़ महीने के मुकाबले आज स्थिति चाहे बेहतर लगती हो लेकिन जब तक कोरोना का यह नासूर पूरी तरह सूख नहीं जाता चिंता तो बनी ही रहेगी और स्वास्थ्य मंत्रालय के इन आंकड़ों को भी इसी चिंता का सबब समझा जाना चाहिए।

स्वास्थ्य मंत्रालय के इन आंकड़ों के आधार पर ही इस मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने यह दावा भी किया है कि  आंध्र प्रदेश के गुंटूर और कुर्नूल ज़िले में राज्य के 46.6 फीसदी मामले सामने आये हैं, जो देश के कुल मामलों का 1.9 फीसदी हिस्सा हैइसी तरह देश की राजधानी  दिल्ली में देश के 11.6 फीसदी कोरोना  मामले हैं और  गुजरात के 88.4 फीसदी मामले राज्य के केवल तीन शहरों-अहमदाबाद, सूरत और  वडोदरा से सामने आये है और ये देश के कुल मामलों का 11 फीसदी हिस्सा है। 

उत्तर प्रदेश के 41.2 फीसदी मामले आगरा, गौतम बुद्ध नगर और लखनऊ से हैं। इन तीन जिलों में सामने आये कोरोना संक्रमित मामले देश के कुल मामलों का 3.1 फीसदी है ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि आज जो स्थिति बन रही है उसमें  ‘क्या1 हम  कोरोना वायरस जैसे जैविक हथियार के हमले से निपटने को तैयार हैं? सवाल केवल भारत की जनता और सरकार से ही नहीं है बल्कि इस सवाल का जवाब तो पूरी दुनिया के देशों और उनकी सरकारों को देना है क्योंकि आज के दौर में कोरोना महामारी ने जो वैश्विक छलांग लगाईं है वैसे इससे पहले किसी भी महामारी ने नहीं लगाईं थी, वो महामारी चाहे चूहों से फैलने वाली प्लेग जैसी महामारी के साथ ही हैजा या चेचक या फिर बाद के दौर में फैलने वाली डेंगू जैसी ही कोई महामारी न हो।

कोरोना की छलांग वैश्विक है तो जवाब भी विश्व के सभी देशों के नेताओं को ही देना होगा। इसके लिए किसी ख़ास देश, किसी ख़ास समूह, क्षेत्र या समुदाय को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता , इसी परिप्रेक्ष्य में विचार करते  हैं तो यह भी साफ़ समझ में आता है कि भारत ही नहीं दुनिया के तमाम देश इस सवाल का जवाब देने तैयारी में लगे भी हैं और वैश्विक स्तर पर जवाब देने को तैयार भी हैं।

इन्हीं तैयारियों के चलते ही पिछले दिनों अमेरिका की  प्रतिष्ठित फॉरेन पॉलिसी मैगजीन में यह आशंका जताई गई है कोरोना एक तरह का जैविक हमला हो सकता है। इसी बिंदु को केंद्किर में रख कर ही इस पत्रिका में  जैविक हमले  की भयावहता के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी है। इस बाबत पत्रिका में यह भी  बताया गया है। अभी तक की रिसर्च के मुताबिक कोरोना वायरस किसी तरह का जैविक  जैविक हमला तो नहीं  नहीं लग रहा है। लेकिन भविष्य में महामारी के नाम पर ऐसे ही किसी जैविक हमले का सामना करने के लिए दुनिया को तैयार रहना होगा। 

आज के सन्दर्भ में पूछें तो कह सकते हैं  क्या आज  दुनिया किसी ऐसे हमले के लिए तैयार है?इस सवाल का जवाब शायद यही होगा कि कि आज की तारीख में हम यानी पूरी दुनिया ऐसे किसी भी संभावित खतरे से लड़ने के लिए बिलकुल भी तैयार नहीं हैं। वजह साफ़ है, अगर हम ऐसे किसी जैविक हमले का सामना करने को तैयार होते तो कोरोना मामले को लेकर एक दूसरे पर आरोप- प्रत्यारोप नहीं लगा रहे होते। 

अब पूरी दुनिया में कोरोना वायरस को लेकर एक नई तरह की बहस शुरू हो गई है जिसके मुताबिक़ कोरोना का वायरस साम्यवादी देश चीन की प्रयोगशाला में तैयार किया गया है। आरोप बड़ा है लेकिन कोई पुख्ता प्रमाण किसी के पास नहीं है इसलिए एक  कॉन्सिपिरेसी थ्योरी के तहत यह बहस  इस वक्त पूरी दुनिया में चल रही है। 

ईरान से  रूस और  अमेरिका तक के कॉन्सिपिरेसी थ्योरिस्ट इस खबर को फैलाने में लगे हैं , चीन पर लगने वाले आरोप अभी तक सिर्फ कयासों पर आधारित हैं। पर सच तो यह भी है कि अभी कुछ दिन पहले  चीन ने भी अमेरिका पर कुछ इसी तरह के  निराधार  आरोप लगाए थे। इमानदारी से देखें तो अमेरिका और चीन दोनों ही विश्व बाजार में अपना विस्तार करने की नीति के तहत कोरोना को भी हथियार बनाने से चूक नहीं रहे हैं।