
नई दिल्ली। सरकार ने सोमवार को वित्त वर्ष 2021-22 के लिए केंद्रीय बजट में जनजातीय मामलों के मंत्रालय के लिए 7,524 करोड़ रुपये आवंटित किए, जो पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 36 प्रतिशत की वृद्धि है।
मंत्रालय को वित्तीय वर्ष 2020-21 में 7,411 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, जिसे बाद में संशोधित करके 5,508 करोड़ रुपये किया गया था। जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि यह ‘‘अब तक का सबसे अच्छा बजट’’ है क्योंकि यह अभूतपूर्व परिस्थितियों में तैयार किया गया है।
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘बजट सभी क्षेत्रों के गुणात्मक विकास को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। यह बताने के लिए कोई उदाहरण नहीं है कि हम 2020 में कोविड-19 के कारण किस स्थिति से गुजरे हैं।’’
यह बजट अबतक का सर्वश्रेष्ठ बजट है, जिसमें कि सभी क्षेत्रों के गुणात्मक विकास को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है।यह बजट ऐसी परिस्थितियों में तैयार किया गया है,जो पूर्व में कभी नहीं थी, 2020 में हमने कोविड-19 के साथ क्या-क्या सहन किया उसका कोई उदाहरण नहीं है।
— Arjun Munda (@MundaArjun) February 1, 2021
कुल 7,524 करोड़ रुपये में से, सबसे बड़ा हिस्सा – 2,393 करोड़ रुपये – “आदिवासी शिक्षा” के लिए आवंटित किया गया है।
इस बार, विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूहों (पीवीटीजी) के विकास के लिए 250 करोड़ रुपये रखे गए हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में अपने तीसरे बजट भाषण के दौरान एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय की इकाई लागत को 20 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 38 करोड़ रुपये और पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों में 48 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव किया।
माननीय वित्त मंत्री श्रीमती @nsitharaman जी को 750 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों की लागत बढ़ाने के प्रावधान के लिए धन्यवाद।
इस बजट में इसे 20 करोड़ से बढ़ाकर 38 करोड़ रुपये करने के प्रस्ताव।
पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों के लिए इसे बढ़ाकर 48 करोड़ रुपये करने का प्रावधान किया गया है। pic.twitter.com/J1ONm3pzFs— Arjun Munda (@MundaArjun) February 1, 2021
उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारे आदिवासी छात्रों के लिए मजबूत बुनियादी सुविधाओं को बनाने में मदद करेगा।’’
उन्होंने कहा कि सरकार ने आदिवासी क्षेत्रों में 750 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय स्थापित करने का लक्ष्य रखा है।