पीएम की किसानों से एक फोन कॉल दूर वाली बात भी जुमला साबित हुई: राजन

Ritesh Mishra Ritesh Mishra
हरियाणा Updated On :

गुरुग्राम। हरियाणा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजन राव ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार किसानों की दिक्कतों को लेकर पूरी तरह संवेदनहीन हो गई है और गांव, गरीब और किसानों की हितैषी होने का महज ढोंग करती है।

इसका सबसे बड़ा उदाहरण यही है कि सरकार किसान आंदोलन का हल निकालने को तैयार नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के साथ वार्ता की यह कहकर उम्मीद जगाई थी कि किसान आंदोलन का हल महज एक फोन कॉल दूर है। उनका यह बयान भी महज जुमला ही साबित हुआ।

राजन ने कहा कि अभी तक किसानों से सरकार की ओर से बातचीत की पहल नहीं की गई। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने प्रधानमंत्री के पूरे बयान और केंद्र सरकार के हर कदम को नौटंकी करार दिया है। कहा कि पीएम ने कृषि कानूनों पर देश को गुमराह किया है। उनके साथ साथ दूसरे संवैधानिक पदों पर बैठे भाजपा नेता भी पीएम की भाषा बोल रहे हैं। जब से कृषि कानून बनाए गए हैं तब से लेकर आज तक पूरी भाजपा किसानों के साथ देश को गुमराह कर रही है।

किसान एमएसपी को कानूनी रूप देने की मांग कर रहे हैं तो सरकार इस पर चुप क्यों है? उन्होंने कहा कि अगर कानून इतने ही सफेद है तो सरकार देश के लाखों करोड़ों किसानों को उनकी सफेदी दिखाने में नाकाम क्यों हो रही है? सही मायने में भाजपा कृषि कानूनों पर केवल देश को गुमराह कर रही है। ये कानून किसानों को बर्बाद करने वाले हैं।

यही कारण है भाजपा किसानों को कानूनों की अच्छाई समझा नहीं पा रही है। इससे साफ है तीनों कृषि कानून ही काले नहीं बल्कि इन्हें लागू करने की मंशा के पीछे की पूरी परिणति ही काली है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि पीएम या सरकार का कोई भी नुमाइंदा एक बार आंदोलन स्थल पर जनसैलाब देखे। सिंघु बॉर्डर से टिकरी बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर पर जो जनसैलाब उमड़ा है वह भावनाओं का सैलाब है। उन्होंने कहा कि पीएम देश को अपने पूंजीपति मित्रों को गिरवी रख चुके हैं। राजन ने तंज कसा कि पीएम कह रहे हैं कि किसानों से बातचीत का इंतजार कर रहे हैं। उनके इस बयान पर आश्चर्य होता है।

अगर सरकार को किसानों की जरा भी चिंता है तो प्रधानमंत्री को किसानों को बातचीत के लिए तत्काल आमंत्रित करना चाहिए। पीएम को स्वयं किसानों से बैठकर बात करनी चाहिए और समस्या का हल निकालना चाहिए। सरकार तीनों कृषि कानूनों को सस्पेंड करने पर राजी है, उनमें संशोधन को राजी है तो कानूनों को रद्द कर किसानों के साथ बातचीत नए सिरे से कानूनों का मसौदा तैयार करना चाहिए।