न्यायिक बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की जरूरत : प्रधान न्यायाधीश


देश में न्यायिक बुनियादी ढांचे को आगे बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन वी रमण ने शनिवार को कहा कि न्यायपालिका भी कुछ मूलभूत समस्याओं का सामना कर रही है और अगर वे हल नहीं हुए तो वे उनके उत्तराधिकारियों को भी परेशान करते रहेंगे।


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अमरावती। देश में न्यायिक बुनियादी ढांचे को आगे बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन वी रमण ने शनिवार को कहा कि न्यायपालिका भी कुछ मूलभूत समस्याओं का सामना कर रही है और अगर वे हल नहीं हुए तो वे उनके उत्तराधिकारियों को भी परेशान करते रहेंगे।

विजयवाड़ा में अभिनंदन समारोह में न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि अदालतों में 4.60 करोड़ मामले लंबित हैं और भारत जैसे देश के लिए यह संख्या बड़ी नहीं है, जिसकी आबादी लगभग 150 करोड़ है। उन्होंने कहा कि अधिकारों का उल्लंघन होने पर अदालतें हस्तक्षेप करेंगी। न्याय प्रदान करने के लिए कार्यपालिका भी जिम्मेदार है और अगर यह कानून के मापदंडों के भीतर काम करती है तो किसी के लिए अदालतों में आने की कोई आवश्यकता नहीं है।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘सभी तंत्रों की तरह, न्यायपालिका भी कुछ मूलभूत समस्याओं का सामना कर रही है। मेरे पूर्ववर्तियों, प्रधान न्यायाधीशों ने भी इन मुद्दों का उल्लेख किया था। मैं भी उन मुद्दों को उठा रहा हूं। यह मेरे उत्तराधिकारियों के लिए भी एक चिरस्थायी समस्या होगी, क्योंकि धीरे-धीरे हम न्यायपालिका और कानूनी शिक्षा के महत्व को भूल रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि न्यायिक बुनियादी ढांचे को विकसित करने की जरूरत है और इससे अदालतों के प्रति सम्मान बढ़ेगा।

अभिनंदन कार्यक्रम में रोटरी क्लब द्वारा न्यायमूर्ति रमण को ‘लाइफटाइम अचीवमेंट’ पुरस्कार दिया गया। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘आप सभी जानते हैं कि कानून का शासन कितना महत्वपूर्ण है। यदि किसी देश में कानून का शासन नहीं हो, तो अराजकता फैल जाती है। यह लोकतंत्र के अस्तित्व के लिए खतरा है। कानून के शासन के बारे में जनता को जागरूक करने की जरूरत है।’’

न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि देश की कानूनी प्रणाली का भारतीयकरण करना समय की आवश्यकता है और न्याय वितरण प्रणाली को अधिक सुलभ तथा प्रभावी बनाने के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि आम लोगों के लिए अदालती कार्यवाही को समझने के वास्ते कानूनी प्रक्रियाओं का सरलीकरण जरूरी है।

लोगों को उनके संवैधानिक अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में जागरूक किए जाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि रोटरी क्लब जैसे संगठनों को जनता के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाना चाहिए। प्रधान न्यायाधीश आंध्र प्रदेश के तीन दिवसीय दौरे पर हैं।