सुर्ख़ियों में कोरोना : संक्रमितों की मृत्युदर में गिरावट के संकेत


कोरोना से मरने वालों के स्थान पर इलाज के बाद ठीक होने वालों की संख्या अब पहले के मुकाबले बढ़ गई है। इस परिवर्तन के साथ एक परिवर्तन अब तह भी हुआ है कि अब देश-विदेश में कोरोना के संक्रमितों की संख्या में तो अचानक बहुत उछाल देखने को आ रहा है लेकिन मृत्यु दर कम होती जा रही है।



बीते लगभग छह दशक के दौरान कोरोना या कोविड -19 वायरस से पनपने वाले एक ऐसे रोग के रूप में सामने आया है जिसने मानव जाति को अब तक का सबसे ज्यादा नुक्सान पहुंचाया है। इस संकामक रोग का असर भी दुनिया एक बड़े हिस्से में हुआ है। पृथ्वी के सभी सात महाद्वीप इस रोग से प्रभावित हैं और इसका प्रभाव भी बहुत अधिक समय तक मौजूद है। चीन में हुए पहले संक्रमण के बाद से अब तक इस संचारी रोग को फैले हुए 6 माह से ज्यादा का समय हो चुका है लेकिन अभी तक दुनिया को इससे पूरी तरह मुक्ति मिलना तो दूर आंशिक राहत भी नहीं मिली है। हां इतना जरूर हुआ है कि कुछ महीने पहले तक इस रोग की जो मारक क्षमता औसत 10 प्रतिशत थी वो अब 3 प्रतिशत के आसपास हो गई है।
कोरोना से मरने वालों के स्थान पर इलाज के बाद ठीक होने वालों की संख्या अब पहले के मुकाबले बढ़ गई है। इस परिवर्तन के साथ एक परिवर्तन अब तह भी हुआ है कि अब देश-विदेश में कोरोना के संक्रमितों की संख्या में तो अचानक बहुत उछाल देखने को आ रहा है लेकिन मृत्यु दर कम होती जा रही है। वैज्ञानिकों की माने तो ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि कोरोना का वायरस एक निश्चित समयावधि में अपना स्वभाव और स्वरुप दोनों ही बदलता है। इसका शुरुआती स्वरूप बहुत आक्रामक था जो अब धीरे- धीरे सॉफ्ट होता जा रहा है। अपने इस स्वरुप में यह वायरस संक्रमण की गति और दर दोनों ही बहुत तेजी के साथ बढ़ा देता है लेकिन इसका मानव शरीर पर असर कम होने लगता है। हाल के दिनों में ऐसा लगने भी लगा है।

भारत के ही सन्दर्भ में देखें तो कह सकते हैं कि कोरोना का संक्रमण तो बढ़ रहा है लेकिन इस संक्रमण से होने वाला जोखिम कम होता जा रहा है। अब कोरोना उतना खतरनाक नहीं माना जा रहा है जितना अपने  शुरुआती दौर में था। पर इसका यह मतलब कतई नहीं है कि इसको लेकर हमें लापरवाह हो जाना चाहिए।रोग के प्रति पूरी तरह से सावधान रहने और बचाव के उपाय करते रहने चाहिए इसी में सबकी भलाई है वरना, ” सावधानी हटी, दुर्घटना घटी” जैसी कहावत को सच में बदलते देर नहीं लगेगी।

समाचार पत्रों की सुर्खियां हर रोज कोरोना को लेकर नए अंदाज में सामने आती हैं। ताजा सुर्ख़ियों के मुताबिक कोरोना संक्रमण के मामले में भारत की स्थिति इसलिए अच्छी कही जा सकती है क्योंकि विगत 5 जुलाई तक देश के चार लाख से अधिक कोरोना संक्रमित मरीज ठीक हो कर अस्पताल से घर जा चुके थे।

पर इसके साथ ही इसका नकारात्मक पहलू यह भी है कि इसी अवधि में संक्रमण फैलाने के मामले में हमारा देश रूस जैसे देश को पछाड़ कर दुनिया में तीसरे स्थान पर पहुंच चुका था। मतलब यह कि अब भारत में रूस से अधिक कोरोना मरीज हैं। लेकिन विशेषज्ञों की माने तो संक्रमण अधिक होने और मरीजों की संख्या बढ़ने की वजह से वेवजह घबराने की भी कोई जरूरत नहीं है। 
आंकड़ों की भाषा में इसे संक्रमितों की संख्या दोगुनी होना माना जाता है जिसका म्मत्लब यह है कि कोरोना के मामले तो 10 दिन में दोगुने हो रहे हैं लेकिन इन संक्रमितों में सक्रिय होने वाले मामले 31 दिन में दो गुने हो रहे हैं। ठीक होने वलों की संख्या सक्रिय होने वालों की तुलना में बहुत तेजी से बढ़ रही है और कोरोना से मरने वालों की संख्या बहुत तेजी से घट भी रही है। इसलिए खतरा भी धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। यह सब इसलिए भी हो रहा है क्योंकि अब उपचार के बाद 16 दिन में ही स्वास्थ्य होने वालों की संख्या में दोगुने का इजाफा हो रहा है। इसलिए कोरोना की इस संकटपूर्ण घड़ी में सावधानी पूर्वक इलाज कराना ही बेहतर और एकमात्र विकल्प है। 

कोरोना का विश्लेषण करने वाले आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि इस समय देश में सक्रिय मामले 2.3 फीसदी दर से बढ़ रहे हैं और उनके दोगुना होने में 30 दिन से भी ज्यादा का समय लग रहा है। इस बीच में स्वास्थ्य होने वालों की संख्या 16 दिन में दो गुनी हो रही है। इसका मतलब साफ़ है कि कोरोना के मरीज तो आश्चर्यजनक रूप से बढ़ रहे हैं लेकिन इन संक्रमितों के दोगुनी गति से सक्रिय होने और स्वस्थ्य होने के अवधि में बहुत अंतर है। जहां स्वस्थ होने वालों की संख्या 6 दिन में दोगुनी हो रही है वहां सक्रिय मरीजों की संख्या 30 दिन में दोगुनी हो रही है।

इसका एक मतलब यह भी है कि जैसे-जैसे सक्रिय संक्रमितों की संख्या कम होती जायेगी वैसे ही वैसे संक्रमण की दर अपने उच्चतम स्तर पर पहुच जायेगी। इस हिसाब से इस परिवर्तन को सुखद ही माना जाना चाहिए।  मौजूदा सन्दर्भ में देखें तो भारत की स्थिति इसलिए बेहतर कही जा सकती है क्योंकि भारत का रिकवरी रेट यानी कोरोना मरीजों के स्वस्थ होने की दर दुनिया के अन्य देशों की तुलना में बेहतर है। इसका उल्लेख विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कोरोना के सम्बन्ध में जारी की गई अपनी ताजा रिपोर्ट में भी किया है।
भारत के दो केंद्र शासित क्षेत्र और चंडीगढ़ और लद्दाख इस मामले में क्रम से पहले और दूसरे नंबर पर हैं जबकि राज्यों के सन्दर्भ में उत्तराखंड इस मामले में टॉप पर है। कुल मिला कर कोरोना का सन्दर्भ इतना पेचीदा सा लगने लगा है कि कई बार कुछ समझ में भी नहीं आता। एक ही बात को अलग-अलग एजेंसियां अपने अलग- अलग अंदाज में प्रस्तुत कर इस पूरे सन्दर्भ को आसान बनाने के बजाय और जटिल बना देती हैं जबकि इस समय जरूरत इस बात की है कि मामले को आसान बन कर के सामने प्रस्तुत किया जाए जिससे जनता को हर बात आसानी से समझ में आ सके।