
पाकिस्तान पुलिस ने सिंध प्रांत में शुक्रवार (20 जून) को अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय की तीन लड़कियों और उनके चचेरे भाई को मुक्त करा लिया है। तीनों लड़कियों और उनके भाई का कथित तौर पर जबरन धर्मांतरण कराया जा रहा था, जिसका हिंदू समुदाय की ओर से विरोध किए जाने पर पुलिस ने यह कार्रवाई की।
हिंदू समुदाय ने 16, 19 और 22 साल की तीन बहनों और उनके 13 साल के चचेरे भाई की माताओं की अपील पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की, जिन्होंने दावा किया था कि उन्हें जबरन इस्लाम कबूल करवाया गया। परिवार की अपील पर पुलिस ने गुरुवार (19 जून) की शाम को चारों को हैदराबाद से मुक्त कराया।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) गुलाम नबी कीरियो ने कहा, ‘‘हमने उनका धर्मांतरण कराने वाले संदिग्ध को भी गिरफ्तार कर लिया है।’’ कीरियो ने कहा कि तीनों बहनें और उनका चचेरा भाई बुधवार (18 जून) को सुबह बिना किसी को बताए घर से चले गए थे। कुछ घंटों बाद उनके वीडियो सामने आए, जिसमें चारों यह कहते हुए सुनाई दे रहे हैं कि उन्होंने अपनी मर्जी से इस्लाम धर्म अपनाया है।
कीरियो के मुताबिक, वीडियो में तीनों बहनें और चचेरा भाई अपने परिवार पर उन्हें नुकसान पहुंचाने की कोशिश करने का आरोप लगाते सुनाई दे रहे थे। इस घटना के बाद उनकी माताओं ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की और कहा कि लड़का सिर्फ 13 साल का है और उसे धर्म की भी समझ नहीं है। प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद हिंदू पंचायत और कुछ निर्वाचित नेताओं ने पुलिस से कार्रवाई करने का आग्रह किया।
हिंदू पंचायत के प्रमुख राजेश कुमार ने कहा, “यह घटना सिर्फ पारिवारिक त्रासदी नहीं, बल्कि सांप्रदायिक त्रासदी है। उन्होंने कहा, ‘‘ये लड़कियां सिर्फ हिंदुओं की बेटियां नहीं हैं। ये सिंध की बेटियां हैं।’’ कुमार ने उनकी तस्वीरें दिखाते हुए सवाल किया कि क्या वे इतनी परिपक्व हैं कि अपना धर्म बदलने का फैसला कर सकें।
उन्होंने कहा, ‘‘सिंध में हिंदू लड़कियों और महिलाओं के अपहरण, जबरन धर्मांतरण और विवाह की समस्या हिंदू समुदाय के लिए एक बड़ी समस्या है। अपराधी केवल उन मामलों में कार्रवाई करते हैं, जहां बच्चे प्रभावशाली या संपन्न परिवारों से होते हैं, लेकिन कई मामलों में जहां लड़कियां अशिक्षित और गरीब पृष्ठभूमि से आती हैं, वहां कुछ नहीं किया जाता है।’’