
नई दिल्ली। वरिष्ठ चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली में कोरोना वायरस की दूसरी लहर संभवत: एक सप्ताह के अंदर चरम पर पहुंच सकती है और सकारात्मकता दर (पॉजिटिविटी रेट) 50 प्रतिशत तक पहुंच सकती है।
सफदरजंग अस्पताल में वरिष्ठ डॉक्टर जुगल किशोर के अनुसार वायरस लोगों के एक दूसरे के नजदीकी संपर्क में आने से फैलता है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों में, लोग कोविड संबंधी उपयुक्त आचरण का पालन किए बिना एक दूसरे से मिल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इसका परिणाम सामने है। फरवरी में कराए गए सीरो सर्वे का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि दिल्ली की लगभग 50 प्रतिशत आबादी पहले ही कोरोना वायरस के संपर्क में आ चुकी है तथा फिर से संक्रमित होने के मामले “बहुत कम” हैं।
उल्लेखनीय है कि 15 जनवरी से 23 जनवरी के बीच कराए गए पांचवें सीरो सर्वे के अनुसार दिल्ली की लगभग 56 प्रतिशत आबादी में घातक वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित हुयी है।
डॉ किशोर ने कहा कि संक्रमण के मामलों में तेजी से वृद्धि को देखते हुए दिल्ली में “दूसरी लहर के एक सप्ताह के भीतर चरम पर पहुंचने की आशंका है।”
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में सहायक प्रोफेसर डॉ युद्धवीर सिंह ने कहा कि कोविड-19 की यह लहर दिल्ली में चरम की ओर बढ़ रही है और अगला सप्ताह महत्वपूर्ण होने वाला है। उन्होंने कहा, ‘‘सकारात्मकता दर 50 प्रतिशत पर पहुंच सकती है।’’ उन्होंने कहा कि अप्रैल के अंत तक मामले घटने लगेंगे और मई के दूसरे सप्ताह तक स्थिति तुलनात्मक रूप से बेहतर हो जाएगी।
इस बार दिल्ली में इतनी अधिक संख्या में मामले सामने आने के कारणों के बारे में पूछे जाने पर डॉ सिंह ने कहा कि लोगों ने सुरक्षा कम कर दी और उचित सावधानी नहीं बरती।
उन्होंने कहा कि एक और कारण यह है कि गैर-दिल्ली वासी बड़ी संख्या में राष्ट्रीय राजधानी में इलाज के लिए आते रहे हैं और यहां के अस्पतालों में भर्ती कोविड मरीजों में उनकी संख्या करीब 30 प्रतिशत हैं। उन्होंने कहा कि वायरस आने वाले समय में विकसित होगा और “कमजोर या मजबूत कुछ भी हो सकता है।’’
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के पूर्व प्रमुख डॉ एन के गांगुली ने कहा कि कोरोना वायरस की यह लहर संभवत: “पहले ही चरम पर पहुंच चुकी है।” उन्होंने कहा, ‘‘अगले सप्ताह से मामले कम होने लगेंगे। अमेरिका में भी इसी तरह की प्रवृत्ति (सकारात्मकता दर और मृत्यु दर) देखी गई थी जब वह कोविड-19 की दूसरी लहर से जूझ रहा था।”
उन्होंने कहा कि कुंभ, किसानों का आंदोलन, शादियां और चुनावी रैलियों सहित कई घटनाओं से दिल्ली और अन्य जगहों पर वर्तमान स्थिति पैदा हुयी है।