देश के भविष्य नहीं बागान की तरह हैं युवा, बस संजोए रखने की जरुरत

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हरियाणा Updated On :

गुड़गांव। ‘आज के युवा कल के भविष्य हैं’। इस कथन के साथ जिम्मेदारी भी हमारे बच्चों के लिए श्रेष्ठ भविष्य निर्माण की है। युवा हमेशा से देश की महान परिसंपत्ति रहे हैं और आगे भी रहेंगे। चूंकि वे देश के भविष्य को देखते हैं और हरेक स्तर पर इसके लिए खड़े होते हैं। शिक्षाविद और कुंवर एजुकेशनल फाउंडेशन के चेयरमैन राजेश कुमार सिंह कहते हैं राष्ट्र निर्माण में इस युवा पीढ़ी को भागीदार बनाना पहले की तुलना में अब ज्यादा महत्वपूर्ण है। इसलिए, युवा की क्षमता और ताकत देष को सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंचने में मदद करेगी।

हरेक नागरिक समान रूप से जिम्मेदार है, उतना ही युवा जिम्मेदार हैं। वे देश के बिल्डिंग ब्लाॅक हैं। हम अपने बच्चों को आगे बढ़ाने के जो तरीके चुनते हैं, वे हमारे समाज का परिणाम तय करते हैं। कई लोगों का मानना है कि शिक्षा के लिए बच्चों के प्लेटाइम के बजाय स्कूल में ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए। आज के अभिभावक आर्थिक चुनौतियों की वजह से लंबे घंटों तक काम करने के लिए बाध्य होते हैं जिससे बच्चों को स्कूल से लौटने के बाद स्वयं को उनसे दूर रखना पड़ता है। हमारे युवा राष्ट्र निर्माण में सक्षम हैं, इसलिए हमें उन्हें अवसर देना चाहिए।

प्रत्येक युवाओं को विशेष योजना की जरूरत होती है, क्योंकि वे जीवन में विभिन्न कौशल और पहलुओं को सीखते हैं। उनका ज्यादातर भविष्य शिक्षाविदों के हाथ में होता है। उनकी गुणवत्ता और व्यक्तित्व एक ऐसी नियति का निर्धारण करेगा जो राष्ट्र के प्रति अनुकूल हो। उनके मार्गदर्शन और उत्सुकता से हमें उन्हें कल की समस्याओं से मुकाबले के लिए तैयार करने में मदद मिलेगी।

एक देश के युवा को उसके पावर-हाउस में बदलने की जरूरत है। शिक्षकों को युवाओं की प्रतिभाओं को निखारने और उन्हें अच्छे इस्तेमाल के प्रयास में खास योजना बनाने की जरूरत है। सभी बच्चों की प्रतिभाएं और क्षमताएं ऐसी बेहद सक्षम परिसंपत्तियां हैं जो राष्ट्र निर्माण में मदद करने की ठोस राह प्रदान कर सकती हैं, उसे मजबूत बना सकती हैं और समस्याओं का बेहद सक्षम तरीके से प्रबंधन कर सकती हैं।

शिक्षाविद राजेश कहते हैं कि मौजूदा समय में देश में शिक्षा की गुणवत्ता और स्कूलों में शैक्षिक परिणामों में सुधार लाना एक बड़ी समस्या है। हम अपने शिक्षकों की क्षमताओं और ज्ञान के अनुपात को उन्नत बनाए बगैर गुणवत्तायुक्त शिक्षा का लक्ष्य हासिल नहीं कर सकते। उन्हें देश की प्रगति में समान भागीदार बनाना जरूरी है।

एकता, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक जिम्मेदारी का सही मूल्य अपने बच्चों को सिखाना और दुनिया को रहने के लिहाज से सुरक्षित और बेहतर स्थान बनाना जरूरी होगा। समाज को अपने युवाओं के प्रति सतर्क और सुरक्षात्मक बनने की जरूरत है, क्योंकि शिक्षा या उत्पादक तरीके से नई ऊर्जा को लेकर किसी तरह की विफलता मिलने से विनाश और हिंसा की स्थिति को बढ़ावा मिल सकता है जो देश के लिए नकारात्मक साबित हो सकता है।

ऐसी हालात से बचने के प्रयास में समाज को अपने युवाओं को सही तरह की शिक्षा मुहैया करानी चाहिए। इसका मकसद सिर्फ संबद्ध क्षेत्रों में बड़े पेशेवर तैयार करना नहीं होना चाहिए, बल्कि अच्छा इंसान बनना भी होना चाहिए। उचित सुविधाओं और अनुकूल परिवेश के साथ साथ पर्याप्त रचनात्मकता पर भी जोर दिया जाना चाहिए। शिक्षाविदों को छात्रों के लिए उनकी दिलचस्पी के हिसाब से स्पोट्र्स, तकनीकी क्षेत्रों और अन्य क्षेत्रों पर भी ध्यान देना चाहिए।

हमारे युवा सभी परिवेश में सामाजिक सुधार ला सकते हैं। हालांकि उन्हें दक्षता, सही मार्गदर्शन और अपेक्षित परिणाम तक पहुंचने के लिए प्रशिक्षण का सही माध्यम मुहैया कराने की जरूरत है। इसे देखते हुए, नई पीढ़ी देश को ऊंचाइयों पर पहुंचाने और उसे एक नई दुनिया में ले जाने के लिए महत्वपूर्ण है।

बागान तब तक एक अच्छा बागान नहीं बनता जब तक कि उसे सुंदर और आकर्षक बनाने के प्रयास में पौधों और फूलों की कटाई छटाई नहीं की जाती। इसी तरह, बच्चे उनके शिक्षकों और अभिभावकों के लिए आरंभिक वर्षों में एक क्लीन स्लेट की तरह होते हैं और वह समय उन्हें सुंदर वयस्क बनने की राह में महत्वपूर्ण मूल्य, नैतिकता और अनुशासन सिखाता है।