दुनिया भर में लुप्त हो रही वनस्पतियों और जीव-जंतुओं की प्रजातियों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस यानी ‘वर्ल्ड वाइल्डलाइफ डे’ मनाया जाता है। इस खास दिवस पर दुनियाभर की सरकारें वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए कई तरह के जागरूकता अभियान आयोजित करती हैं। वहीं संयुक्त राष्ट्र महासभा हर साल अलग-अलग थीम से इस खास दिवस को मनाता है।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘विश्व वन्यजीव दिवस’ के मौके पर बुधवार को पशुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उनके लिए वन और सुरक्षित आवासों को संरक्षित करने की अपील की।
एक ट्वीट में, उपराष्ट्रपति ने कहा: “इस विश्व वन्यजीव दिवस पर, हम सभी को वन्यजीवों को बचाने और संरक्षित करने के लिए समर्पित प्रयास करने चाहिए और अपने ग्रह पर एक स्वस्थ पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता पर अधिक से अधिक जागरूकता पैदा करनी चाहिए।”
On this World Wildlife Day, let us all put in dedicated efforts to save and preserve the wildlife & create greater awareness on the need to maintain a healthy ecological balance on our planet. #WorldWildlifeDay #WorldWildlifeDay2021 pic.twitter.com/U0051okyD7
— Vice President of India (@VPSecretariat) March 3, 2021
प्रधानमंत्री मोदी ने विश्व वन्यजीव दिवस पर वन्यजीव संरक्षण की दिशा में काम करने वालों को सलाम किया और कहा- “यह शेर, बाघ और तेंदुआ हो, भारत विभिन्न जानवरों की आबादी में लगातार वृद्धि देख रहा है। हमें अपने वनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। और जानवरों के लिए सुरक्षित निवास स्थान के लिए काम करना चाहिए। ”
On #WorldWildlifeDay, I salute all those working towards wildlife protection. Be it lions, tigers and leopards, India is seeing a steady rise in the population of various animals. We should do everything possible to ensure protection of our forests and safe habitats for animals.
— Narendra Modi (@narendramodi) March 3, 2021
गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने बुधवार को ‘विश्व वन्यजीव दिवस’ के मौके पर वनों को संरक्षित रखने एवं प्राचीन वनों से जुड़े आर्थिक विकास को तेज करने की अपनी सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।
सावंत ने ट्वीट किया कि गोवा समृद्ध जैव विविधता वाला राज्य है।
Greetings to all on the occasion of #WorldWildlifeDay. pic.twitter.com/Fyp5aA7G2s
— Dr. Pramod Sawant (@DrPramodPSawant) March 3, 2021
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘हम आज ‘फोरेस्ट एंड लाइवलीहुड, सस्टेनिंग पीपल एंड प्लैनेट’(वन एवं आजीविका: लोगों एवं ग्रह को संभालने वाले) विषयवस्तु के साथ विश्व वन्यजीव दिवस मना रहे हैं।’’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ स्वयंपूर्ण गोवा पहल के तहत हम अपने समुदायों को हमारे प्राचीन वनों के जरिए आर्थिक वृद्धि में फिर सुधार करने में सक्षम बनाएं और आने वाली पीढ़ी के लिए उन्हें संरक्षित रखने को लेकर जागरुकता फैलाएं।’’
आपको बता दें की विश्व वन्यजीव दिवस के माध्यम से हर साल अलग-अलग थीम के माध्यम से लोगों में जागरुकता फैलाई जाती है। यह थीम लुप्त हो रहे जीवों और प्राकृतिक वनस्पतियों के संरक्षण से संबंधित होती है। 20 दिसंबर 2013 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपने 68वें सत्र में 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस घोषित किया था। इसे थाईलैंड की ओर से विश्व के वन्यजीवों और वनस्पतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और मनाने के लिए प्रस्तावित किया गया था। साल 1872 में वन्य जीवों को विलुप्त होने से रोकने के लिए सबसे पहले जंगली हाथी संरक्षण अधिनियम (वाइल्ड एलीफेंट प्रिजर्वेशन एक्ट) पारित किया गया था।
विश्व वन्यजीव दिवस की 2021 की थीम
विश्व वन्यजीव दिवस के अवसर पर विभिन्न वन्यजीव एवं वनस्पति प्रजातियों के संरक्षण, उनके निरंतर प्रबंधन और भविष्य की पहलों पर आधारित प्रतिबद्धताओं पर दृढ़ता से अमल करने का संकल्प दोहराया जाता है। प्रतिवर्ष इस दिवस की अलग-अलग विषयवस्तु होती है, जिसके माध्यम से प्रकृति से विलुप्त हो रहे जीवों, प्रजातियों और प्राकृतिक वस्तुओं का संरक्षण करने हेतु लोगों को जागरूक किया जाता है। इसी क्रम में, वर्ष 2021 की विषयवस्तु ‘वन और आजीविका: लोग और ग्रह को बनाए रखना’ है। अर्थात पृथ्वी को जीवंत बनाये रखने के लिए मनुष्यों के साथ-साथ पशु-पक्षी, और पेड़-पौधों का रहना अत्यंत आवश्यक है। आज जीव-जंतुओं तथा पेड़-पौधों की कई प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं। इसलिए, पारिस्थितिक तंत्र के प्राकृतिक वैभव की रक्षा करना, और पृथ्वी पर प्रत्येक जीवित प्राणी के साथ सह-अस्तित्व की एक प्रणाली विकसित करना हमारा कर्तव्य है।
आपको बता दें कि पशुओं और पौधों की करीब 10 लाख से भी अधिक प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर हैं। इस पर नजर रखने वाली संस्था IPBES के मुताबिक, इंसानों के इतिहास में ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं बनी है।