
पाकिस्तान की सरकार ने आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर को प्रमोट कर दिया है। आसिम मुनीर पाकिस्तान के दूसरे फील्ड मार्शल बन गए हैं। पाकिस्तान के इतिहास में ऐसा दूसरी बार हुआ है जब किसी आर्मी चीफ को फील्ड मार्शल बनाया गया है। भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद ठीक बाद पाकिस्तान ने यह फैसला लिया है, लेकिन यह उसके लिए एक बुरा संकेत है। मुनीर के प्रमोट होते ही सवाल उठ रहा है कि क्या वह सैन्य तानाशाही की ओर बढ़ रहा है?
मोहम्मद अयूब खान पाकिस्तान के पहले फील्ड मार्शल बने थे। साल 1959 में तत्कालीन पाक राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्जा अस्थिरता की वजह से निराश हो गए थे। उन्होंने देश की हालत को देखते हुए आर्मी चीफ अयूब खान को मार्शल लॉ लागू करने के लिए आमंत्रित कर दिया, लेकिन उनका यह फैसला पाक इतिहास की बड़ी भूल साबित हुई।
पाकिस्तान के लिए 1947 से 1958 का दौरा किसी बुरे सपने की तरह साबित हुई। इस दौरान देश ने सात प्रधानमंत्रियों को देखा, लेकिन कोई भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका। इस बीच पाकिस्तान में सैन्य तानाशाही की शुरुआत हो गई। पाक के तत्कालीन राष्ट्रपति मिर्जा को लगा था कि मार्शल लॉ आने के बाद हालात सुधरेंगे और अयूब खान उनके प्रति वफादार रहेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अयूब ने जिम्मेदारी संभालने के 20 दिन बाद ही मिर्जा को बाहर का रास्ता दिखा दिया। वे खुद राष्ट्रपति बन गए। अयूब ने और ज्यादा मजबूत बनने के लिए 1959 में खुद को प्रमोट किया और फील्ड मार्शल बन गए।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की कैबिनेट ने 20 मई को नए फील्ड मार्शल के लिए मंजूरी दे दी। पाक के इतिहास में दूसरी बार कोई फील्ड मार्शल के पद पर रहेगा। आसिम मुनीर के इस पद पर आते ही पाक में सैन्य तानाशाही का पहला संकेत मिल गया है। अगर अब आसिम ने सरकार को भी नियंत्रण में ले लिया तो पाक की स्थिति फिर से खराब हो सकती है।
आसिम मुनीर काफी आक्रामक सोच के व्यक्ति हैं। इसका असर उनके कार्यकाल में भी देखने को मिला। भारत के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को बेइज्जती का सामना करना पड़ा। भारत ने आतंक के खिलाफ ऑपरेशन चलाया था, लेकिन इसमें पाकिस्तानी सेना भी कूद पड़ी। उसे भारत की जवाबी कार्रवाई की वजह काफी ज्यादा नुकसान हुआ।